शुक्रवार, अगस्त 20, 2010

दुःख..

 कुछ नहीं कहते न रोते हैं 
दुख पिता की तरह होते हैं।
इस भरे तालाब-से बाँधे हुए मन में
 धुँआते-से रहे ठहरे जागते तन में,
लिपट कर हम में बहुत चुपचाप सोते हैं....'अशेष'

4 टिप्‍पणियां:

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा आपने.बधाई.

राहुल ने कहा…

bahut accha laga. ekdum apne jaisa... apno ki tarah..

kumar ने कहा…

aaap ki ye kavitai pad kar patanahi man me kya chalta hai

Tamil News App ने कहा…

Nice one nice article