लुहार ने लोहे को गलाया और उसी लोहे से एक तलवार बनायीं व् एक ढाल. दोनों को एक योधा ने खरीद लिया. युद्ध के मैदान मे दोनों साथ ही जाती. योधा ने कई युद्ध लरे और एक दिन बीच मैदान मे जब उसने वार किया तो तलवार टूट गयी. उस टूटी तलवार ने ढाल से कहा- हम दोनों एक ही लोहे के बने है, एक ही साथ जन्मे है, लेकिन तुम अभी भी साबुत हों औए मैं जीवन कि आखिरी घरिया गिन रही हू. ऐसा क्यों है..?
ढाल ने कहा- तुममे और मुझमे एक बुनियादी फर्क है. तुम लोगो को मरने का काम करती हों और मैं लोगो को बचने का. मेरे साथ बचने वालो कि दुआए साथ होती है औए तुम्हारे साथ मरने वालो कि बददुआये.. बात पूरी होती इसके पहले ही तलवार कबार मे जा चुकी थी.
1 टिप्पणी:
एक ही मिट्टी के सांचे में ढाले हम सब ...
कौन कैसी राह चुने ...!
मारने वाले से बचाने वाला हमेशा महान होता है ...!
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