गुरुवार, सितंबर 27, 2012

छाया ;
मत छूना .......
मेरा मन कभी.

बुधवार, सितंबर 26, 2012

उफ़ ! तुमने देर क्यूँ कर दी
मुझे आवाज़ देने में --:(
देखो न मेरे पांव जम गये
इस दर पर दरख्त की तरह
-------------दिव्या --------------

गुरुवार, सितंबर 13, 2012

तुम चले जाओगे
पर थोड़ा-सा यहाँ भी रह जाओगे
जैसे रह जाती है
पहली बारिश के बाद
हवा मे धरती कि सोंधी-सी गंध......अशोक वाजपयी