नज्मो के नाम बात अनुभवो की होती है तो तर्क मे नही ढलती ....क्योकि तर्क तो तर्क को काटना जनता है..................अंतर्मन मे उतरना वो क्या जाने? कहानी बहुत लम्बी है..........क्योकि कहानियो मे खामोशिया छुपी होती है..... रिश्तो की खामोशिया...... धरकनो की खामोशिया....... दर्द और खुशियों की खामोशिया...... और ये खामोशिया जब लफ्जो का चोला पहनती है तो कोई कबीर......कोई ग़ालिब......कोई गुलजार.......का अक्श उभर आता है। ये blog उन्ही अक्शो के नाम..................आमीन.
गुरुवार, सितंबर 27, 2012
बुधवार, अगस्त 29, 2012
रविवार, अक्तूबर 02, 2011
शनिवार, अक्तूबर 16, 2010
शुक्रवार, अगस्त 20, 2010
दुःख..
कुछ नहीं कहते न रोते हैं
दुख पिता की तरह होते हैं।
इस भरे तालाब-से बाँधे हुए मन में
धुँआते-से रहे ठहरे जागते तन में,
लिपट कर हम में बहुत चुपचाप सोते हैं....'अशेष'
दुख पिता की तरह होते हैं।
इस भरे तालाब-से बाँधे हुए मन में
धुँआते-से रहे ठहरे जागते तन में,
लिपट कर हम में बहुत चुपचाप सोते हैं....'अशेष'
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