रविवार, अक्तूबर 02, 2011

chand...


  सुनो, वो जो

  दरख्तों के खुले दरीचों से-

  झाकता हुआ चाँद दिया था 

  तुमने मुझे.

  के,

 धूलि-धूलि आँखों से,

 पूछता है वही  आज -

 मुझसे अपने होने का अर्थ... 
 

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