
गुप्त जी का जन्म 1886 ईसवी, चिरगाव, झासी, उत्तरप्रदेश मे हुआ था। इनकी प्रथा रचना "भारत-भरती" 1912 ईसवी मे निकली और इस पुस्तक ने हिन्दी भाषियो मे अपनी जाती और देश के प्रति गर्व और गौरव की भावनाए जगाई। तभी से ये राष्ट्रकवि के रूप मे विख्यात है।
नज्मो के नाम बात अनुभवो की होती है तो तर्क मे नही ढलती ....क्योकि तर्क तो तर्क को काटना जनता है..................अंतर्मन मे उतरना वो क्या जाने? कहानी बहुत लम्बी है..........क्योकि कहानियो मे खामोशिया छुपी होती है..... रिश्तो की खामोशिया...... धरकनो की खामोशिया....... दर्द और खुशियों की खामोशिया...... और ये खामोशिया जब लफ्जो का चोला पहनती है तो कोई कबीर......कोई ग़ालिब......कोई गुलजार.......का अक्श उभर आता है। ये blog उन्ही अक्शो के नाम..................आमीन.