१।गोश्त क्यों न खाया?
डोम क्यों न गाया?
उत्तर—गला न था
२.जूता पहना नही
समोसा खाया नहीं
उत्तर — तला न था
३।अनार क्यों न चखा?
वज़ीर क्यों न रखा?
उत्तर— दाना न था( अनार का दाना और दाना=बुद्धिमान)
४।सौदागर चे मे बायद? (सौदागर को क्या चाहिए )
बूचे(बहरे) को क्या चाहिए?
उत्तर (दो कान भी, दुकान भी)
५।तिश्नारा चे मे बायद? (प्यासे को क्या चाहिए)
मिलाप को क्या चाहिए
उत्तर—चाह (कुआँ भी और प्यार भी)
६।शिकार ब चे मे बायद करद? ( शिकार किस चीज़ से करना चाहिए)
क़ुव्वते मग़्ज़ को क्या चाहिए? (दिमाग़ी ताक़त को बढ़ाने के लिए क्या चाहिए)
उत्तर— बा —दाम (जाल के साथ) और बादाम
5 टिप्पणियां:
bhut sahi jari rhe.
aap apna word verification hata le taki humko tipani dene me aasani ho.
बहुत अच्छी कवितायेँ है आपके पास .उज्जवल कल के लिए अनेक अच्छी कामनाएं .
खुदा नसीब करे तुमको इस कद्र शोहरत
तुम्हारे नाम के आगे किसी का नाम न हो
namaste....
hindustaani bhasha ke bade kavi hain khusro. aap inhen blog par chhap kar achha kar rahee hain.
गोरी सोवे सेज पर मुख पर डारे केस
चल खुसरों घर आपने रैन भइ चहुं ओर ..
इसकी पृष्ठभूमी तो पता है लेकिन इसके भावाॻथ को छोडा स्पस्ट करें तो बडा ही अच्छा होगा।वह भी इसलिये कि आप खुसरों से बहुत प्रेरित है।
Khushro ke sang rangin ho gaya hai aapka blog. yeh behtarin hai
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