गुरुवार, सितंबर 27, 2012

छाया ;
मत छूना .......
मेरा मन कभी.

बुधवार, सितंबर 26, 2012

उफ़ ! तुमने देर क्यूँ कर दी
मुझे आवाज़ देने में --:(
देखो न मेरे पांव जम गये
इस दर पर दरख्त की तरह
-------------दिव्या --------------

गुरुवार, सितंबर 13, 2012

तुम चले जाओगे
पर थोड़ा-सा यहाँ भी रह जाओगे
जैसे रह जाती है
पहली बारिश के बाद
हवा मे धरती कि सोंधी-सी गंध......अशोक वाजपयी

बुधवार, अगस्त 29, 2012

aadet....

जी करता है आदत बदल लू अपनी...
पर जी को तुम लगे हो छूटते ही नहीं......

रविवार, अक्तूबर 02, 2011

chand...


  सुनो, वो जो

  दरख्तों के खुले दरीचों से-

  झाकता हुआ चाँद दिया था 

  तुमने मुझे.

  के,

 धूलि-धूलि आँखों से,

 पूछता है वही  आज -

 मुझसे अपने होने का अर्थ... 
 

शनिवार, अक्तूबर 16, 2010

ugana re mora kata

शुक्रवार, अगस्त 20, 2010

दुःख..

 कुछ नहीं कहते न रोते हैं 
दुख पिता की तरह होते हैं।
इस भरे तालाब-से बाँधे हुए मन में
 धुँआते-से रहे ठहरे जागते तन में,
लिपट कर हम में बहुत चुपचाप सोते हैं....'अशेष'