नज्मो के नाम
बात अनुभवो की होती है तो तर्क मे नही ढलती ....क्योकि तर्क तो तर्क को काटना जनता है..................अंतर्मन मे उतरना वो क्या जाने?
कहानी बहुत लम्बी है..........क्योकि कहानियो मे खामोशिया छुपी होती है.....
रिश्तो की खामोशिया......
धरकनो की खामोशिया.......
दर्द और खुशियों की खामोशिया......
और ये खामोशिया जब लफ्जो का चोला पहनती है तो कोई कबीर......कोई ग़ालिब......कोई गुलजार.......का अक्श उभर आता है।
ये blog उन्ही अक्शो के नाम..................आमीन.
शनिवार, अप्रैल 26, 2008
याद है मुझे... तुमने कहा था......... इक पुरखार पौधा बनुगा जहा तुम मुझे हुस्न दोगी ...........तुम्हे मैं पनाह.
kaun kahta hai ki tum matra dharati ho tum. meri nigaho se dekho zindagi ki sachchai ho tum. subah ki sheetal kiran] dopahar ki tej dhoop ho tum. jeth ki garmi kabhi, sawan ki barish bhi ho tum. sansno ki shakti ho, jindagi ki jarurat ho tum. nahi tum dharati nahi] sari kaynat ho tum.
2 टिप्पणियां:
बहुत खूब......मोहतरमा.....
kaun kahta hai ki tum
matra dharati ho tum.
meri nigaho se dekho
zindagi ki sachchai ho tum.
subah ki sheetal kiran]
dopahar ki tej dhoop ho tum.
jeth ki garmi kabhi,
sawan ki barish bhi ho tum.
sansno ki shakti ho,
jindagi ki jarurat ho tum.
nahi tum dharati nahi]
sari kaynat ho tum.
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