शुक्रवार, अप्रैल 04, 2008

शाम


बेमहर रात
और बदमिजाज..........
झेल लेने के बाद
शाम तोहफा है
आस्मा का अता किया
शाम को संभालो,
सजाओ,

इसको सवारों,
मसरफ मे अपने लाओ
इससे पहले
के रात इसे अपने जहर से
मार डाले.........
उठो .


1 टिप्पणी:

Priyambara ने कहा…

bahut badhiya bhabhi.kai blogon se tahalte hue is blog par aai man khush ho gaya.