नज्मो के नाम बात अनुभवो की होती है तो तर्क मे नही ढलती ....क्योकि तर्क तो तर्क को काटना जनता है..................अंतर्मन मे उतरना वो क्या जाने? कहानी बहुत लम्बी है..........क्योकि कहानियो मे खामोशिया छुपी होती है..... रिश्तो की खामोशिया...... धरकनो की खामोशिया....... दर्द और खुशियों की खामोशिया...... और ये खामोशिया जब लफ्जो का चोला पहनती है तो कोई कबीर......कोई ग़ालिब......कोई गुलजार.......का अक्श उभर आता है। ये blog उन्ही अक्शो के नाम..................आमीन.
सोमवार, फ़रवरी 02, 2009
मुकुटधर पाण्डेय
इनका जन्म 1815 ईस्वी मे बालपुर, विलासपुर मे हुआ था। अपने अग्रज लोचनप्रसाद पाण्डेय की प्रेरणा से इन्होने 1909 ईस्वी मे लेख-कवितायें आदि लिखना प्रारम्भ किया। द्विवेदी कालिन पत्रिका "सरस्वती" आदि अन्य पत्रिकाओ मे इनकी रचनाये प्रमुखता से छपती रही हैं। प्रथम काव्य संकलन 'पूजा-फूल' नाम से प्रकाशित हुआ। 'कानन-कुसुम', 'शैल बाला', 'समाज कंटक', 'लछमा', 'परिश्रम', तथा 'ह्रदय-दान' नमक पुस्तके भी उल्लेखनीय हैं। इन्होने उच्च मानवीय मूल्यों पर बल देते हुए उपदेश की जगह आंतरिक संवेदना जगाने तथा भावात्मकता को प्रधानता दी हैं।इनकी एक प्रमुख कविता 'कवि' शीर्षक से नीचे प्रस्तुत हैं।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
3 टिप्पणियां:
कविता नीचे नहीं मिली, इसे अवश्य जोड़े
----------
ज़रूर पढ़ें:
हिन्द-युग्म: आनन्द बक्षी पर विशेष लेख
कविता नहीं लिखी है आपने....
कानन कुसुम इनकी कब की रचना h
एक टिप्पणी भेजें