रविवार, फ़रवरी 08, 2009

peter korman


चाहे कुछ भी घटित हो : लिखो

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अगर तुम्हारे शरीर मे अंधकार घिर आता है

तो लिखो उस रौशनी के बारे मे

जो बाहर खङी इन्तजार करती है........

5 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया!!!

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) ने कहा…

बेहद सुंदर...आशा और आत्म विश्वास से पूर्ण.

डॉ .अनुराग ने कहा…

dilchasp........

अजय कुमार झा ने कहा…

सिर्फ़ इतना ही कि पहली ही नज़र में आपने प्रभावित किया ..शुक्रिया आगे भी प्रभावित होते रहना चाहेंगे
अजय कुमार झा

शरद कोकास ने कहा…

अच्छी है पंक्तियाँ ।